बच्चों पर कुपोषण और मोटापे की दोहरी मार
सेहतराग टीम
कुपोषण और मोटापा दोनों ही एक-दूसरे के उलट शब्द हैं मगर इस देश की हकीकत है कि जहां एक ओर छोटे बच्चों का एक बड़ा तबका पोषण युक्त आहार के अभाव में सही शारीरिक विकास नहीं हासिल कर पा रहा है वहीं दूसरी ओर बच्चों का एक तबका ऐसा भी है जिनमें तेजी से मोटापा घर करता जा रहा है।
कहां हुआ सर्वे
हाल ही में देश के 10 सर्वाधिक आबादी वाले शहरों में पांच साल से छोटे बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में किए गए सर्वे में पता चला है हर चार में एक बच्चे का विकास अवरूद्ध है और वो कुपोषित है। गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के मामले में इन शहरों में दिल्ली पहले नंबर पर है जहां 11.7 फीसदी बच्चे ऐसे पाए गए हैं। इसी सर्वे से यह भी सामने आया है कि शहरी बच्चों में मोटापा भी तेजी से बढ़ रहा है और इन शहरों के पांच साल से कम उम्र के 2.4 फीसदी मोटापे से ग्रस्त हैं।
दोहरा बोझ
इस हिसाब से देखें तो भारत बच्चों के मामले में दोहरा बोझ झेल रहा है। एक ओर जहां उसके सामने बच्चों की एक बड़ी आबादी को उचित पोषाहार मुहैया कराने की चुनौती है वहीं दूसरी ओर बच्चों के मोटापे से भी निबटना है। दरअसल देश के गांवों में जहां बच्चे पोषाहार की कमी के कारण सही तरीके से विकसित नहीं हो रहे हैं वहीं शहरों में बच्चे अनियंत्रित जीवनशैली और फास्टफूड के चंगुल में फंस गए हैं।
क्या होगा असर
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर के.के. अग्रवाल कहते हैं कि गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों का विकास बेहद धीमा हो जाता है। उनकी बौद्धिक क्षमता भी कम हो जाती है। यह स्थिति पूरे जीवन बनी रह सकती है। दूसरी ओर मोटापे से ग्रस्त बच्चे हड्डी और जोड़ों की समस्या, अनिद्रा और सामाजिक मानसिक समस्याओं से घिर सकते हैं। उनमें आत्मविश्वास की कमी भी आ सकती है। डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि यहां तक कि कुपोषण का इलाज करने पर भी यदि बच्चों का पोषण पूरा नहीं होता है इसका असर पूरी जिंदगी बना रह सकता है। उनका पाचन तंत्र भी कमजोर हो सकता है।
जल्द शुरू हो प्रयास
दूसरी ओर जीवनशैली और फास्टफूड कल्चर के कारण मोटापे के शिकार बच्चों में भी जल्दी ही इलाज शुरू करने की जरूरत होती है। बच्चों में बढ़ते मोटापे के खिलाफ लड़ाई में स्कूलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। बच्चों में स्वस्थ आदतें विकसित करके वो उनकी स्वस्थ युवावस्था की नींव रख सकते हैं।
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि इन दोनों ही समस्याओं का समाधान स्वस्थ भोजन और सही जीवनशैली से जुड़ा है। कुपोषण दूर करने के लिए खाने में कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट और दुग्ध उत्पाद इन चारों चीजों का समावेश होना चाहिए। वहीं मोटापे से निबटने के लिए भी स्वस्थ भोजन ही असल कुंजी है।
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